लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
प्रिय सखी।
कैसी हो। लो एक बार फिर हाज़िर हूं तुम्हें अपने साथ अपनी यादों के सफ़र पर ले जाने के लिए । जीवन क्या है । कुछ नही क्षणभंगुर।पर पता नही क्यों लोगों मे एक दौड़ सी लगी हुई है जैसे।कल बता रही थी तुम्हें कि मेरी बड़ी दीदी के साथ क्या हुआ और उन्हीं के बेटे की शादी मे जब मै गयी तो एक खालीपन सा अजीब सा अहसास था ।ऐसे लग रहा था जैसे सब कुछ होते हुए भी कुछ नही है जैसे।पर तुम उदास मत होना ।
चलो मेरे साथ तुम्हें शादी की यादों के सफ़र पर ले चलती हूं । गाड़ी का सफर मेरे लिए सदा ही जी का जंजाल रहा है । चक्कर आना ।वोमिट होना ।पर गिर पड कर दीदी के यहां पहूंच ही गये।मेरी दोनों बहनें और उनका परिवार भी साथ था।जैसे ही हम वहां पहुंचे जीजाजी और उनका परिवार सभी हमारी आवभगत में लग गये।पर वो कमी कभी भी पूरी नही कर सके जो मेरी दीदी होती तो वो हमारे लिए करती नये घर मे शादी का इंतजाम किया गया था और जिस घर मे हमें ठहराया गया था उसी घर मे मेरी दीदी की मृत्यु हुई थी। हमारे यहां ये रिवाज है जब तक भात नहीं लेते भाई से तब तक उस घर मे नही आ सकते जिस घर मे शादी हो हम पुराने घर मे तैयार होने गये लेडिज संगीत के लिए ।जैसे ही मैंने कदम रखा मुझे लगा जैसे दीदी ने एक हवा के झोंके से हमारा स्वागत किया। मैंने भी ऊंचे स्वर मे बोल दिया ,,"दीदी हम आ गये।" हम तैयार होकर संगीत पर गये। पहले खाना था उससे फारिग होने पर बच्चों ने और हम ने मिल कर खूब नाच गाना किया।कसम से इतना मजा आया कि पूछो मत।पर कहते है ना एक कमी कभी भी पूरी नही हो सकती मेरी दीदी जो इस दुनिया में नही है। बाकी यादें कल अच्छा अब चलती हूं। अलविदा सखी।
Khan
29-Nov-2022 05:34 PM
Very nice 👌🌺🌸
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Gunjan Kamal
18-Nov-2022 08:36 AM
बिल्कुल सही कहा आपने मैम! अपनो की कमी कभी भी किसी और चीज से पूरी ना हुई और ना ही आगे होगी। बहुत ही अच्छा लिखा आपने आदरणीया 👏👌🙏🏻
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डॉ. रामबली मिश्र
17-Nov-2022 10:17 PM
शानदार
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